भ्रूण हत्या
आज हम जिस बारे मैं बात करने वाले है वह के से भी छीप्पी नहीं है, यहाँ बैठा हर बच्चा इस बारे मैं कुछ न कुछ तो जानता ही होगा पर हम इस बारे मैं बात नहीं करते, क्यूंकि हमने यह देखा नहीं है। तो क्या जो हमने देखा नहीं वो होता ही नहीं? आज मैं आपसे भ्रूण हत्या के बारे मैं बात करूंगा। मैं जनता हूँ की जो लोग इस बारे मैं जानते होंगे वो या तो मुस्कुरा रहे होंगे या तोह "हो" कर रहे होंगे। और जो इस बारे मैं भूल गए भूल गए होंगे तोह मैं याद दिला देता हूँ। भ्रूण हत्या कानूनी तरीकों के बाहर कन्या शिशु का गर्भपात है। २०११ की जनगणना में यह पाया गया की प्रति 100 महिलाओं पर 108.9 पुरुष थे। यह दर्शाता है की भारत मैं पुरुषों की संख्या बड़ती जा रही है परन्तु महिलाओं की संख्या मैं वृत्ति नहीं। इसकीं वजह समाज मैं काफी अंदर थक बसी हुई वैमनस्य की भावना हो सकती थी। मेरा अनुमान है की गाँव मैं जहाँ आज भी दहेज प्रथा चली आ रही है वहां भ्रुण हत्या के ज्यादातर मामले आते हे। जब तक हम समाज की इन छोटी छोटी आराजकतों नहीं मिट देंगे तब तक यह समज बस यूँ ही कोसा जाएगा पर सुधरा नहीं।
धन्यवाद
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