नई सुबह कब आएगी?
।।नई सुबह कब आएगी।।
हर शाम की तरह आज भी बूढ़ी औरत दीपक जलाएगी ।
उसकी कांपती हुई अंगुलियां दीए में तेल जी भर के डालेंगी ।
फिर छोटी सी चिंगारी उस दिए को उसका तेज लौटाएगी ।
तब दीपक की शीन किरणे अंधकार को मिटाएंगी ।
पर फिर भी चंचल पवन शांत नहीं रह पाएगी ,
इधर-उधर से आकर इस नन्हे दीपक को
बुझाना चाहेंगी ।
और तब यह बूढी आत्मा नया जोश दिखाएगी ।
और अपने निर्मल आंचल से दीपक को बुझने से बचाएगी ,
इन उलझनों के बाद भी विधाता से पूछती जाएगी।
कि यह नहीं सुबह कब आएगी ।
~हेमांग करगती
एक दीया मेरी तरफ से, दुनिया को रोशन करने के लिए | |
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