न रोकूंगा मैं तुमको, न जाने को मैं बोलूंगा |


 न रोकूंगा मैं तुमको, न जाने को मैं बोलूंगा। 


जो आशा लेकर आये थे,

वही आशा देकर भेजूंगा,

न रोकूंगा मैं तुमको 

न जाने को मैं बोलूंगा। 


यह जिंदिगी के उतर चाड़व 

यु ही साथ-साथ में झेले थे 

कभी खिल-खिलाकर हँस दिए

कभी बूँद-बूँद सा रोये थे।  


पर फिर इन सबके बाद भी 

कुछ ऐसा लगता है की 

एक नई सुबह आएगी

एक नया अध्याय लिख जायेगी। 


जो सपना साथ में देखा था 

उसका हौसला दे जाएगी

न रोकूंगा मैं तुमको 

न जाने को मैं बोलूंगा। 


यह दो पल की जुदाई 

उठानी मुझे ही पड़ेगी 

तभी तेरे चहरे की भुझी  

मुस्कान यूँ ही बनी रहेगी।  


ज्यों ठंडी आहे भरते भरते  

यह मुखारविंद अब गिरता है 

ज़िंदगी का असली मतलब 

शायद यूँही पता चलता है। 


कल किस्मत ने ही जोड़ा था 

आज किस्मत ने ही छोड़ा है 

मुँह मुस्कान को पकडे है 

मन ने आंसुओं को जकड़ा है। 

~  हेमांग करगेती

 

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