इस कली के फूल



                         



 

इस कली के फूल यूं मुस्कुराते 

मानो दिन के उजाले में चांद खिलजाते 

 

कभी जननी का प्यार पाकर सुबह सुबह उठ जाते

और कभी उसी की डांट सुनकर रात में सो जाते 


मां के हाथ का खाना जी भर कर खाते 

और मां के साथ ही हंसी ठिठोली करते जाते 


मां का दुलार पाकर बड़े हो जाते 

और उस पौधे मैं सूरज के समान जगमगाते 


इसी खुशी से गाते गाते 

आखिर वह दिन भी आ जाते 


जब राजीव मोहन छोटी-छोटी दलिया लेकर आते 

बड़े श्रद्धा भाव से फूलों को कलियों से अलग करते जाते 


उन कलियों की आंखों में आंसू भी आते 

पर वह आंसू वरदान बन फूलों पर जगमगाते 


उन कलियों के मन इस वियोग में भी खुश हो जाते

क्योंकि उनके फूल भगवान के चरणों से उन्हीं में मिल जाते 



                                                                                                                      ~  हेमांग करगेती


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